राहु के प्रभाव से उत्पन्न होने वाले दुर्योगों को ही नाग दोष कहा जाता है। जब कुंडली में राहु और केतु पहले घर में, चन्द्रमा के साथ या शुक्र के साथ विराजमान हों तो ऐसी स्थिति में नाग दोष बनता है।
नाग दोष के प्रभाव:
नागदोष से पीडित जातक किसी पुराने या यौन संचारित रोग से ग्रस्त रहता है। इन्हें लाख कोशिशों के बाद भी सफलता नहीं मिलती है। इसके कारण महिलाओं को संतान उत्पत्ति में अत्यधिक परेशानी आती है। आकस्मिक मृत्यु का खतरा रहता है और अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ते हैं।
नाग दोष शांति पूजा :
नागदोष के निवारण हेतु पूजन की अनेक विधि हैं। सबसे उत्तम विधि वैदिक मंत्रों द्वारा किया जाने वाला विधान है। किसी अच्छे ब्राह्मण द्वारा राहु के मंत्रों का सवा लाख बार मंत्र जाप करवाने से भी शुभ फल प्राप्त होता है।
नाग दोष पूजा के लाभ-:
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